Ganesh Chalisa - गणेश चालीसा

Ganesh Chalisa - गणेश चालीसा - Shri Ganesh Chalisa


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भगवान गणेश – शिव और पार्वती के दूसरे पुत्र हैं। उनका गज (हाथी) सिर और लम्बोदर (बड़ा पेट) हैं। वे ऐसे ईश्वर है, जिसे किसी अन्य देवता के पहले, यहां तक कि शिव, ब्रह्मा और विष्णु की पूजा से भी पहले पूजा जाता है। वे प्रगति और ज्ञान के देवता हैं। गणेशजी के अनेक नाम हैं लेकिन ये 12 नाम प्रमुख हैं- सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन।

इस साल गणेश चतुर्थी का उत्सव 19 सितंबर, 2023 को शुरू होगा और 28 सितंबर, 2023 को विसर्जन के साथ समाप्त होगा
Ganesh Chalisa In Hindi - Ganpati Chalisa - Ganesh Chalisa - Ganesh Chalisa Lyrics

॥ दोहा ॥

जय गणपति सदगुण सदन, करि वर बदन कृपाल ।
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल ॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय गणपति गणराजू, मंगल भरण करण शुभ काजू ।
जय गजबदन सदन सुखदाता, विश्वविनायक बुद्धि विधाता ।
वक्रतुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन, तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ।
राजत मणि मुक्तन उर माला, स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ।
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं, मोदक भोग सुगन्धित फूलं ।
सुन्दर पीताम्बर तन साजित, चरण पादुका मुनि मन राजित ।
धनि शिव सुवन षडानन भ्राता, गौरी ललन विश्व विख्याता ।
ऋद्धि सिद्धि तव चंवर सुधारे, मूषक वाहन सोहत द्वारे ।
कहौं जन्म शुभ कथा तुम्हारी, अति शुचि पावन मंगलकारी ।
एक समय गिरिराज कुमारी, पुत्र हेतु तप कीन्हों भारी ।
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा, तब पहुँच्यो तुम धरि द्विज रूपा ।
अतिथि जानि के गौरी सुखारी, बहु विधि सेवा करी तुम्हारी ।
अति प्रसन्न है तुम वर दीन्हा, मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ।
मिलहिं पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला, बिना गर्भ धारण यहि काला ।
गणनायक गुण ज्ञान निधाना, पूजित प्रथम रूप भगवाना ।
अस केहि अन्तर्धान रूप है, पलना पर बालक स्वरूप है ।
बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना, लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ।
सकल मगन सुख मंगल गावहिं, नभ ते सुरन सुमन वर्षावहिं ।
शम्भु उमा बहु दान लुटावहिं, सुर मुनिजन सुत देखन आवहिं ।
लखि अति आनन्द मंगल साजा, देखन भी आए शनि राजा ।
निज अवगुण गनि शनि मन माहीं, बालक देखन चाहत नाहीं ।
गिरिजा कछु मन भेद बढ़ायो, उत्सव मोर न शनि तुहि भायो ।
कहन लगे शनि मन सकुचाई, का करिहों शिशु मोहि दिखाई ।
नहिं विश्वास उमा उर भयऊ, शनि सों बालक देखन काऊ ।
पड़तहिं शनि दृगकोण प्रकाशा, बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ।
गिरिजा गिरी विकल है धरणी, सो दुख दशा गयो नहिं वरणी ।
हाहाकार मच्यो कैलाशा, शनि कीन्हों लखि सुत का नाशा ।
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधाये, काटि चक्र सो गजशिर लाये ।
बालक के धड़ ऊपर धारयो, प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ।
नाम 'गणेश' शम्भु तब कीन्हें, प्रथम पूज्य बुद्धि निधि वर दीन्हें ।
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा, पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ।
चले षडानन, भरमि भुलाई, रचे बैठि तुम बुद्धि उपाई ।
चरण मातु पितु के धर लीन्हें, तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ।
धनि गणेश कहि शिव हिय हर्ष्या, नभ ते सुरन सुमन बहु वर्ण्यो ।
तुम्हारी महिमा बुद्धि बड़ाई, शेष सहस मुख सके न गाई ।
मैं मति हीन मलीन दुखारी, करहुँ कौन विधि विनय तुम्हारी ।
भजत 'राम सुन्दर' प्रभुदासा, जग प्रयाग ककरा दुर्वासा ।
अब प्रभु दया दीन पर कीजे, अपनी भक्ति शक्ति कुछ दीजे ।

॥ दोहा ॥

श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै धर ध्यान ।
नित नव मंगल गृह बसै, लहै जगत सनमान ॥
सम्बन्ध अपना सहस्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश ।
पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ति गणेश ॥

आरती श्री गणेश जी की - Ganesh Aarti

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ।
पान चढ़ें फूल चढ़ें और चढ़ें मेवा, लडुवन का भोग लगे सन्त करे सेवा ।
एकदन्त दयावन्त चार भुजा धारी, मस्तक सिन्दूर सोहे मूसे की सवारी ।
अन्धन को आंख देत कोढ़िन को काया, बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया ।
दीनन की लाज राखो शम्भु-सुत वारी, कामना को पूरा करो जग बलिहारी ।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा,
सूरश्याम शरण आये सुफल कीजे सेवा ।

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ऊँ नमो विघ्नराजाय सर्वसौख्यप्रदायिने।
दुष्टारिष्टविनाशाय पराय परमात्मने॥

भावार्थ :

सभी सुखों को प्रदान करने वाले सच्चिदानंद के रूप में बाधाओं के राजा गणेश को नमस्कार। गणपति को नमस्कार, जो सर्वोच्च देवता हैं, बुरे बुरे ग्रहों का नाश करने वाले।

गणेश मंत्र - Ganesh Mantra

  1. ॐ गजाननाय नमः
  2. ॐ श्री गणेशाय नमः
  3. गं गणपतये नम:
  4. ॐ गं गणपतये नमः
  5. ॐ गं ॐ गणाधिपतये नमः
  6. ॐ सिद्धि विनायकाय नमः
  7. श्री गणेशाय नम:
  8. ॐ एकदंताय नमो नमः
  9. ॐ लंबोदराय नमः
  10. ॐ गणाध्यक्षाय नमः
  11. ॐ वक्रतुंडाय नमो नमः

गणपति स्तोत्र - Ganpati Stotra in Hindi

प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्
भक्तावासं स्मरेनित्यम आयुष्कामार्थ सिध्दये ॥1 ॥

प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्
तृतीयं कृष्णपिङगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥2॥

लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धुम्रवर्णं तथाषष्टम ॥3 ॥

नवमं भालचंद्रं च दशमं तु विनायकम्
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥4॥

द्वादशेतानि नामानि त्रिसंध्यं य: पठेन्नर:
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिध्दीकर प्रभो ॥5 ॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मोक्षार्थी लभते गतिम ॥6॥

जपेद्गणपतिस्तोत्रं षडभिर्मासे फलं लभेत्
संवत्सरेण सिध्दीं च लभते नात्र संशय: ॥7॥

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा य: समर्पयेत
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ॥8॥
इति श्रीनारदपुराणे संकटनाशनं नाम श्रीगणपतिस्तोत्रं संपूर्णम ॥

भगवान गणेश जी का श्लोक पढ़े यहाँ - Ganesh Shlokas

श्री गणेश जी की पूजा कैसे की जाती है ?

भगवान गणेश की पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और साफ कपड़े पहन लें । इसके बाद पूर्व या उत्तर की तरफ मुख करके बैठकर पूजा शुरू करें । भगवान गणेश को फूल, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि का चढ़ाएं ।

गणपति का अर्थ क्या है ?

अतः गणपति का अर्थ हुआ दिशाओं के पति, स्वामी। गणपति की अनुमति के बिना किसी भी देवता का कोई भी दिशा से आगमन नहीं हो सकता, इसलिए किसी भी मंगल कार्य या देवता की पूजा से पहले गणपति पूजन अनिवार्य है। गणपति द्वारा सर्व दिशाओं के मुक्त होने पर ही पूजित देवता पूजा के स्थान पर पधार सकते हैं।

नमस्ते गणनाथाय गणानां पतये नमः।
भक्तिप्रियाय देवेश भक्तेभ्यः सुखदायक॥

भावार्थ :

भक्तों को सुख देने वाले देवेश्वर! आप भक्तिमय और गणों के स्वामी हैं। गणनाथ जी को नमस्कार।