Prayer is the exercise of faith and hope.
Prayer is an invocation or act that seeks to activate a rapport with an object of worship through deliberate communication.
Here is collection of Prayer Sanskrit Slokas :
वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ: । निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा ॥
हे हाथी के जैसे विशालकाय जिसका तेज सूर्य की सहस्त्र किरणों के समान हैं । बिना विघ्न के मेरा कार्य पूर्ण हो और सदा ही मेरे लिए शुभ हो ऐसी कामना करते है ।
शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपद: । शत्रुबुध्दिविनाशाय दीपजोतिर्नामोस्तुते ॥
ऐसे देवता को प्रणाम करती हूँ ,जो कल्याण करता है, रोग मुक्त रखता है, धन सम्पदा देता हैं, जो विपरीत बुध्दि का नाश करके मुझे सद मार्ग दिखाता हैं, ऐसी दीव्य ज्योति को मेरा परम नम: ।
आदित्यनमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने दीर्घ आयुर्बलं वीर्य तेजस तेषां च जायत । अकालमृत्युहरणम सर्वव्याधिविनाशम सूर्यपादोदकं तीर्थं जठरे धरायाम्यहम ॥
भगवान सूर्य को नमस्कार जिस तरह वह बड रहे हैं दिन का आरम्भ हो रहा है जिसका तेज, शक्ति को दीर्घ आयु प्राप्त है जिसे मृत्यु पर विजय प्राप्त है , जो सभी की रक्षा करता है ऐसे सूर्य देवता के चरणों में समस्त तीर्थ का सुख है ।
सूर्य संवेदना पुष्पे:, दीप्ति कारुण्यगंधने । लब्ध्वा शुभम् नववर्षेअस्मिन् कुर्यात्सर्वस्य मंगलम् ॥
जिस तरह सूर्य प्रकाश देता है, पुष्प देता है, संवेदना देता है और हमें दया भाव सिखाता है उसी तरह यह नव वर्ष हमें हर पल ज्ञान दे और हमारा हर दिन, हर पल मंगलमय हो ।
सरस्वती नमस्तुभ्यं, वरदे कामरूपिणी । विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥
ज्ञान की देवी माँ सरस्वती को मेरा नमस्कार, वर दायिनी माँ भगवती को मेरा प्रणाम । अपनी विद्या आरम्भ करने से पूर्व आपका नमन करती हूँ , मुझ पर अपनी सिद्धि की कृपा बनाये रखें ।
या देवी सर्वभूतेशु, शक्तिरूपेण संस्थिता । नमस्तसयै, नमस्तसयै, नमस्तसयै नमो नम: ॥
देवी सभी जगह व्याप्त है जिसमे सम्पूर्ण जगत की शक्ति निहित है ऐसी माँ भगवती को मेरा प्रणाम, मेरा प्रणाम, मेरा प्रणाम ।
सर्वे भवन्तु सुखिनः,सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु,मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत् ॥सभी सुखी रहें, सभी निरोगी रहें, सभी मंगलमय घटनाओं का अनुभव करें, और कोई भी दुःख का भागी न बने।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥हम त्रिनेत्र वाले भगवान शिव की आराधना करते हैं, जो हमें जीवन में शक्ति और स्वास्थ्य प्रदान करते हैं। हमें इस जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त कर अमरत्व की ओर ले जाएं।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय धन्वंतरये,
अमृतकलश हस्ताय सर्वामय विनाशनाय त्रैलोक्यनाथाय
श्री महाविष्णवे नमः॥मैं भगवान धन्वंतरि को प्रणाम करता हूँ, जो अमृत कलश को धारण करते हैं, सभी रोगों का नाश करने वाले हैं, और त्रिलोक के स्वामी हैं।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥हम उस सर्वशक्तिमान का ध्यान करते हैं, जो हमें ज्ञान और शक्ति प्रदान करें और हमारे मन को पवित्र करें।
ॐ द्यौः शान्तिः, अन्तरिक्षं शान्तिः, पृथ्वी शान्तिः।
आपः शान्तिः, ओषधयः शान्तिः।
वनस्पतयः शान्तिः, विश्वेदेवाः शान्तिः।
ब्रह्म शान्तिः, सर्वं शान्तिः, शान्तिरेव शान्तिः,
सा मा शान्तिरेधि॥आकाश में शांति हो, पृथ्वी पर शांति हो, जल में शांति हो, औषधियों में शांति हो, वनस्पतियों में शांति हो, संपूर्ण ब्रह्मांड में शांति हो।