Motivational quotes in sanskrit - Sanskrit quotes by some prominent people which is very inspirational. A Sanskrit quotation is the repetition of a sentence, phrase, or passage from speech or text that someone has said or written. Sanskrit Quote means to repeat the exact words of a speaker or an author
Here is best collection of Sanskrit Quotes With English And Hindi Meaning:सक्ष्मात् सर्वेषों कार्यसिद्धिभर्वति ॥
Forgiveness brings success in all work.
क्षमा करने से सभी कार्ये में सफलता मिलती है ।
परोपकाराय फलन्ति वृक्षाः परोपकाराय वहन्ति नद्यः ।
परोपकाराय दुहन्ति गावः परोपकारार्थ मिदं शरीरम् ॥Trees give fruit for charity, rivers flow for charity and cows give milk for charity, that is, this body is also for charity.
परोपकार के लिए वृक्ष फल देते हैं, नदीयाँ परोपकार के लिए ही बहती हैं और गाय परोपकार के लिए दूध देती हैं अर्थात् यह शरीर भी परोपकार के लिए ही है ।
कश्चित् कस्यचिन्मित्रं, न कश्चित् कस्यचित् रिपु:।
अर्थतस्तु निबध्यन्ते, मित्राणि रिपवस्तथा ॥No one is anyone's friend nor enemy, it is because of work that people become friends and enemies.
न कोई किसी का मित्र है और न ही शत्रु, कार्यवश ही लोग मित्र और शत्रु बनते हैं ।
मूर्खशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च।
दुःखितैः सम्प्रयोगेण पण्डितोऽप्यवसीदति॥Even a learned man becomes sad when he teaches a foolish disciple, lives with a wicked woman, and lives in the midst of suffering and sick.
मूर्ख शिष्य को पढ़ाने पर , दुष्ट स्त्री के साथ जीवन बिताने पर तथा दुःखियों- रोगियों के बीच में रहने पर विद्वान व्यक्ति भी दुःखी हो ही जाता है ।
दुष्टा भार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायकः।
ससर्पे गृहे वासो मृत्युरेव न संशयः॥Wicked wife, false friend, answering servant and living in a house with snakes, these are the causes of death, it should not be doubted.
दुष्ट पत्नी , शठ मित्र , उत्तर देने वाला सेवक तथा सांप वाले घर में रहना , ये मृत्यु के कारण हैं इसमें सन्देह नहीं करनी चाहिए ।
धनिकः श्रोत्रियो राजा नदी वैद्यस्तु पञ्चमः।
पञ्च यत्र न विद्यन्ते न तत्र दिवसे वसेत ॥Where there is no Seth, Vedapathi scholar, king and Vaidya, where there is no river, one should not stay even for a day in these five places.
जहां कोई सेठ, वेदपाठी विद्वान, राजा और वैद्य न हो, जहां कोई नदी न हो, इन पांच स्थानों पर एक दिन भी नहीं रहना चाहिए ।
जानीयात्प्रेषणेभृत्यान् बान्धवान्व्यसनाऽऽगमे।
मित्रं याऽऽपत्तिकालेषु भार्यां च विभवक्षये ॥The servant is recognized while sending on some important work. Friends are tested in times of sorrow, friends in times of adversity and wife when wealth is lost.
किसी महत्वपूर्ण कार्य पर भेज़ते समय सेवक की पहचान होती है । दुःख के समय में बन्धु-बान्धवों की, विपत्ति के समय मित्र की तथा धन नष्ट हो जाने पर पत्नी की परीक्षा होती है ।
न वैरमुद्दीपयति प्रशान्तं न दर्पमारोहति नास्तमेति ।
न दुर्गतोऽस्मीति करोत्यकार्यं तमार्यशीलं परमाहुरार्याः ॥The one who does not re-kindle the cooled down enmity, remains egoless, does not behave frivolously, does not do wrong things knowing himself to be in trouble, such a person is praised as the best in the world.
जो ठंडी पड़ी दुश्मनी को फिर से नहीं भड़काता, अहंकाररहित रहता है , तुच्छ आचरण नहीं करता ,स्वयं को मुसीबत में जानकर अनुचित कार्य नहीं करता,ऐसे व्यक्ति को संसार में श्रेष्ठ कहकर विभूषित किया जाता है।
सहायः समसुखदुःखः ॥
The one who gives equal support in happiness and sorrow is a true helper.
जो सुख और दुःख में बराबर साथ देने वाला होता है सच्चा सहायक होता है ।
यस्मिन् देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बान्धवाः।
न च विद्यागमोऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत् ॥In a country where there is no respect, where there is no livelihood, where there is no brother-in-law and where education is not possible, one should not live in such a place.
जिस देश में सम्मान न हो, जहाँ कोई आजीविका न मिले , जहाँ अपना कोई भाई-बन्धु न रहता हो और जहाँ विद्या-अध्ययन सम्भव न हो, ऐसे स्थान पर नहीं रहना चाहिए ।
माता यस्य गृहे नास्ति भार्या चाप्रियवादिनी।
अरण्यं तेन गन्तव्यं यथारण्यं तथा गृहम् ॥One who has neither mother nor woman in his house, he should go to the forest, because for him both the house and the forest are the same.
जिसके घर में न माता हो और न स्त्री प्रियवादिनी हो , उसे वन में चले जाना चाहिए क्योंकि उसके लिए घर और वन दोनों समान ही हैं ।
आपदर्थे धनं रक्षेद् दारान् रक्षेद् धनैरपि।
आत्मानं सततं रक्षेद् दारैरपि धनैरपि ॥Money should be protected in times of adversity. Should protect wife over money . But if you have to sacrifice money and wife when the pleasure of protecting yourself comes, then one should not be missed.
विपत्ति के समय के लिए धन की रक्षा करनी चाहिए । धन से अधिक रक्षा पत्नी की करनी चाहिए । किन्तु अपनी रक्षा का प्रसन सम्मुख आने पर धन और पत्नी का बलिदान भी करना पड़े तो नहीं चूकना चाहिए ।
लोकयात्रा भयं लज्जा दाक्षिण्यं त्यागशीलता।
पञ्च यत्र न विद्यन्ते न कुर्यात्तत्र संगतिम् ॥The place where there is no livelihood, there is no fear and shame, generosity and charity in the people, such five places should not be chosen by a person for his residence.
जिस स्थान पर आजीविका न मिले, लोगों में भय, और लज्जा, उदारता तथा दान देने की प्रवृत्ति न हो, ऐसी पांच जगहों को भी मनुष्य को अपने निवास के लिए नहीं चुनना चाहिए ।
आतुरे व्यसने प्राप्ते दुर्भिक्षे शत्रुसण्कटे।
राजद्वारे श्मशाने च यात्तिष्ठति स बान्धवः ॥When someone is sick, when he is surrounded by an untimely enemy, as a helper in official work and on death, the person who takes him to the cremation ground is a true friend and friend.
जब कोई बीमार होने पर, असमय शत्रु से घिर जाने पर, राजकार्य में सहायक रूप में तथा मृत्यु पर श्मशान भूमि में ले जाने वाला व्यक्ति सच्चा मित्र और बन्धु है ।
देशाचारान् समयाञ्चातिधर्मान् बुभूषते यः स परावरज्ञः ।
स यत्र तत्राभिगतः सदैव महाजनस्याधिपत्यं करोति ॥The person who knows the public behavior, ethos, castes and their religions prevalent in the society, he gets the knowledge of high and low. Wherever he goes, he takes possession of the people with his influence.
जो व्यक्ति लोक -व्यवहार ,लोकाचार ,समाज मे व्याप्त जातियों और उनके धर्मों को जान लेता है उसे ऊँच-नीच का ज्ञान हो जाता है। वह जहाँ भी जाता है अपने प्रभाव से प्रजा पर अधिकार कर लेता है ।