सुबह का समय भगवान की पूजा के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में प्रात: काल को "ब्रह्म मुहूर्त" के रूप में भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस समय की गई प्रार्थना सीधे भगवान तक पहुंचती है। सुबह का श्लोक (श्लोक) यहां दिया गया है जो सर्वशक्तिमान के लिए दिन की पहली प्रार्थना के रूप में भी कार्य करता है।
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ । निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
O Shri Ganesh, the destroyer of evildoers, the powerful one, who has the radiance of a thousand suns. Let all my actions be accomplished without any obstacles.
हे श्री गणेश, दुष्टों का नाश करने वाले, शक्तिशाली, एक हजार सूर्यों के समान तेज वाले। मेरे सभी कार्य बिना किसी बाधा के संपन्न हों।
ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरांतकारी भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च । गुरुश्च शुक्रः शनिराहुकेतवः कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥
Brahma the Creator, Shrivishnu the Nurturer and the slayer of the demon Moor, Shiva the Destroyer and slayer of the demon Tripur, and the nine Cosmic bodies Surya (Sun), Chandra (Moon), Mangal (Mars), Buddh (Mercury), Guru (Jupiter), Shukra (Venus), Shani (Saturn), Rahu (Neptune) and Ketu (Pluto) make my morning auspicious.
ब्रह्मा सृष्टिकर्ता, श्रीविष्णु पालक और राक्षस मूर के संहारक, शिव संहारक और राक्षस त्रिपुर के संहारक, और नौ ब्रह्मांडीय निकाय सूर्य (सूर्य), चंद्र (चंद्रमा), मंगल (मंगल), बुद्ध (बुध), गुरु (बृहस्पति), शुक्र (शुक्र), शनि (शनि), राहु (नेपच्यून) और केतु (प्लूटो) मेरी सुबह को शुभ बनाते हैं ।
कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती । करमूले तु गोविंद: प्रभाते करदर्शनम् ॥
The fingertips of the palm is the dwelling of (Goddess) Shri Lakshmidevi, the central portion of the palm is of (Goddess) Shri Saraswatidevi and the base of the palm of Deity Shri Govind; hence, one should look at the palms immediately after waking up in the morning.
हथेली के उँगलियों पर (देवी) श्री लक्ष्मीदेवी का वास है, हथेली का मध्य भाग (देवी) श्री सरस्वतीदेवी का तथा हथेली का आधार देवता श्री गोविन्द का है; इसलिए सुबह उठकर तुरंत हथेलियों को देखना चाहिए।
समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमंडले । विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्व मे ॥
O Goddess Earth, You are adorned with the ocean as your attire, and mountains as your breasts; You are the wife of Shrivishnu. I pay obeisance to You. Please forgive me for treading on You with my feet.
हे देवी पृथ्वी, आप अपनी पोशाक के रूप में समुद्र और अपने स्तनों के रूप में पहाड़ों से सुशोभित हैं; आप श्रीविष्णु की पत्नी हैं। मैं आपको नमन करता हूं। कृपया मुझे अपने पैरों से आप पर चलने के लिए क्षमा करें।
नास्ति मातृसमा छाय नास्ति मातृसमा गतिः। नास्ति मातृसमं त्राणं नास्ति मातृसमा प्रपा ॥
There is no shade, no shelter, no protection like a mother. There is no life giver in this world like mother.
माता के समान कोई छाया नहीं, कोई आश्रय नहीं, कोई सुरक्षा नहीं। माता के समान इस विश्व में कोई जीवनदाता नहीं ।
सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमयः पिता। मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत् ॥
For a man, his mother is worshipable like all pilgrimages and father like all gods. So it is his ultimate duty to respect and serve them well.
मनुष्य के लिये उसकी माता सभी तीर्थों के समान तथा पिता सभी देवताओं के समान पूजनीय होते है। अतः उसका यह परम् कर्तव्य है कि वह् उनका अच्छे से आदर और सेवा करे ।
या देवी स्तुयते नित्यं विबुधैर्वेदपरागै: । सा मे वसतु जिह्रारो ब्रह्मरूपा सरस्वती ॥
Maa Saraswati, the goddess of knowledge, who has the essence of all verses on her tongue, who is called the goddess of wisdom and who is the wife of Brahma Dev, I wish that such a mother should always reside inside me.
ज्ञान की देवी माँ सरस्वती जिसकी जिव्हा पर सारे श्लोकों का सार है जो बुद्धि की देवी कही जाती है और जो ब्रह्म देव की पत्नी है ऐसी माँ का वास मेरे अन्दर सदैव रहे ऐसी कामना है ।
नमस्तेस्तु महामायें श्रीपीठे सुरपूजिते । शंख्चक्ररादाह्स्ते महालक्ष्मी नमस्तु ते ॥
Maa Lakshmi who is the goddess of power, who is the goddess of wealth, who is worshiped by all the gods, who has conch and chakra in her hands, I bow down to such mother Lakshmi.
माँ लक्ष्मी जो शक्ति की देवी है जो धन की देवी है जो समस्त देवताओ द्वारा पूजी जाती है जिनके हाथो में शंख और चक्र है ऐसी माँ लक्ष्मी को मेरा प्रणाम है ।
निराकारमोङ्करमूलं तुरीयं गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् । करालं महाकालकालं कृपालं गुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ॥
Who has no form, Who is the origin of Om, Who has no kingdom, Who is the dweller of Giri, Who is beyond all knowledge, Who is the lord of Kailash, Who is fearful in form, Who is the lord of time I bow my head before those who are generous and kind, who are the treasure of virtues, who are beyond the whole world.
जिनका कोई आकार नहीं, जो ॐ के मूल हैं, जिनका कोई राज्य नहीं, जो गिरी के वासी हैं, जो कि सभी ज्ञान, शब्द से परे हैं, जो कि कैलाश के स्वामी हैं, जिनका रूप भयावह हैं, जो कि काल के स्वामी हैं, जो उदार एवम् दयालु हैं, जो गुणों का खजाना हैं, जो पुरे संसार के परे हैं उनके सामने मैं नत मस्तक हूँ ।
वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि । मङ्गलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ ॥
I worship Saraswatiji and Ganesh ji who do letters, meaning groups, juices, verses, and auspiciousness.
अक्षरों, अर्थसमूहों, रसों, छन्दों, और मङ्गलोंकी करने वाली सरस्वतीजी और गणेश जी की में वन्दना करता हूँ ।
मूषो न शिश्ना व्यदन्ति माध्यः स्तोतारं ते शतक्रतो । सकृत्सु नो मघवन्निन्द्र मृळयाधा पितेव नो भव ॥
O Indra, just as rats feast on cloth despite being your devotee, my mental problems are bothering me. Master Indra, shower your grace upon me once, and protect me like a father.
हे इन्द्र, जिस प्रकार चूहे आपके भक्त होते हुए भी वस्त्रों को खा जाते हैं, उसी प्रकार मेरे मानसिक रोग मुझे व्याकुल कर रहे हैं। स्वामी इंद्र, एक बार मुझ पर अपनी कृपा बरसाओ, और पिता के समान मेरी रक्षा करो।
यो अन्धो यः पुनःसरो भगो वृक्षेष्वाहितः । तेन मा भगिनं कृण्वप द्रान्त्वरातयः ॥
O God, the endless and permanent Chaitanya that you possess to endow opulence, strength, power, success and stabilise life is also present in trees. It is only because of this Chaitanya in the tree that despite trimming its branches repeatedly it remains green. Please endow me with the same opulence, power and strength to defeat my enemy and overcome calamities in my life.
हे ईश्वर, ऐश्वर्य, शक्ति, शक्ति, सफलता और जीवन को स्थिर करने के लिए आपके पास जो अनंत और स्थायी चैतन्य है, वह पेड़ों में भी मौजूद है। इस चैतन्य के कारण ही वृक्ष बार-बार शाखाओं को छँटाने पर भी हरा-भरा बना रहता है। कृपया मुझे वही ऐश्वर्य, शक्ति और शक्ति प्रदान करें जिससे मैं अपने शत्रु को परास्त कर सकूं और अपने जीवन की विपत्तियों को दूर कर सकूं।
शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपद: । शत्रुबुध्दिविनाशाय दीपजोतिर्नामोस्तुते ॥
I bow down to such a deity, who does good, keeps diseases free, gives wealth, who shows me the right path by destroying the opposite intellect, my supreme salutations to such a divine light.
ऐसे देवता को प्रणाम करती हूँ ,जो कल्याण करता है, रोग मुक्त रखता है, धन सम्पदा देता हैं, जो विपरीत बुध्दि का नाश करके मुझे सद मार्ग दिखाता हैं, ऐसी दीव्य ज्योति को मेरा परम नम: ।
सूर्य संवेदना पुष्पे:, दीप्ति कारुण्यगंधने । लब्ध्वा शुभम् नववर्षेअस्मिन् कुर्यात्सर्वस्य मंगलम् ॥
Just as the sun gives light, gives flowers, gives sympathy and teaches us kindness, similarly this new year should give us knowledge every moment and may our every day, every moment be auspicious.
जिस तरह सूर्य प्रकाश देता है, पुष्प देता है, संवेदना देता है और हमें दया भाव सिखाता है उसी तरह यह नव वर्ष हमें हर पल ज्ञान दे और हमारा हर दिन, हर पल मंगलमय हो ।
सरस्वती नमस्तुभ्यं, वरदे कामरूपिणी । विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥
My salutations to Mother Saraswati, the goddess of knowledge, and my salutations to Mother Bhagwati, my right hand. Before starting my education, I bow down to you, keep your blessings of success on me.
ज्ञान की देवी माँ सरस्वती को मेरा नमस्कार, वर दायिनी माँ भगवती को मेरा प्रणाम । अपनी विद्या आरम्भ करने से पूर्व आपका नमन करती हूँ , मुझ पर अपनी सिद्धि की कृपा बनाये रखें ।
या देवी सर्वभूतेशु, शक्तिरूपेण संस्थिता । नमस्तसयै, नमस्तसयै, नमस्तसयै नमो नम: ॥
My salutations to the Goddess who pervades everywhere, in whom lies the power of the whole world.
देवी सभी जगह व्याप्त है जिसमे सम्पूर्ण जगत की शक्ति निहित है ऐसी माँ भगवती को मेरा प्रणाम ।
ॐ असतो मा सद्गमय तमसो मा ज्योतिर्गमय, मॄत्योर्मा अमॄतं गमय ॥
Oh God! May I move from untruth to truth, from darkness to light and from death to immortality.
हे प्रभु! असत्य से सत्य, अन्धकार से प्रकाश और मृत्यु से अमरता की ओर मेरी गति हो ।
या कुंदेंदुतुषारहार धवला, या शुभ्र वस्त्रावृता ।
या वीणावरदण्डमंडितकरा, या श्वेतपद्मासना ॥
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभ्रृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता ।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्यापहा ॥Vidya Devi who is white in complexion like the flower of the kund, cool moon, snow and pearl necklace and who is dressed in white clothes, who has a beautiful veena in her hand and who is sitting on a white lotus and Brahma, Vishnu and May Mahesh and all the deities who are worshiped daily, may Mother Bhagwati, who dispels the darkness of ignorance, protect us.
जो विद्या देवी कुंद के पुष्प, शीतल चन्द्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह श्वेत वर्ण की है और जिन्होंने श्वेत वर्ण के वस्त्र धारण किये हुए है, जिनके हाथ में वीणा शोभायमान है और जो श्वेत कमल पर विराजित हैं तथा ब्रह्मा,विष्णु और महेश और सभी देवता जिनकी नित्य वन्दना करते है वही अज्ञान के अन्धकार को दूर करने वाली माँ भगवती हमारी रक्षा करें ।