Deshbhakti Sanskrit Essay(देशभक्ति संस्कृत निबंध)

देशभक्ति

यस्मिन् देशे वयं जन्मधारणं कुर्मः स हि अस्माकं देशः जन्मभूमिः वा भवति । जननी इव जन्मभूमिः पूज्या आदरणीया च भवति । अस्याः यशः सर्वेषां देशवसिनां यशः भवति । अस्याः गौरवेण एव देशवसिनां गौरवम् भवति । ये जनाः स्वाभ्युदयार्थ देशस्याहितं कुर्वन्ति ते अधमाः सन्ति । देशभक्तिः सर्वासु भक्तिषु श्रेष्ठा कथ्यते । अनया एव देशस्य स्वतंत्रतायाः रक्षा भवति । अनया एव प्रेरिताः बहवः देशभक्ताः भगत सिंघः, चन्द्रशेखर आजाद प्रभृतयः आत्मोत्सर्गम् अकुर्वन् । झाँसीश्वरी लक्ष्मीबाई, राणाप्रताप मेवाड़केसरि, शिववीरः च प्रमुखाः देशभक्ताः अस्माकं देश जाता । देशभक्तिः व्यक्ति-समाज -देशकल्याणार्थ परमम् औषधम् अस्ति ।

हिन्दी अनुवाद :

जिस देश में हमलोग जन्म लेते हैं वही देश हमारा जन्मभूमि होता है । माता और मातृभूमि पूजनीय और आदरणीय होता है । इसके यश से ही पुरे देशवाशियों का यश होता है । इसके गौरव से ही सभी देशवासियों का गौरव होता है । जो लोग अपने उदय के लिए देश का हित करते हैं, वो अधम है । देशभक्ति सभी भक्तियों में श्रेष्ठ कहा जाता है । इस से देश की स्वतंत्रता की रक्षा होती है । देशभक्ति से प्रेरित लोग जैसे भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद आदि अपना वलिदान दे दिए । हमारे देश में झाँसी की लक्ष्मीबाई मेवाड़ के राणाप्रताप आदि देशभक्त हुए । देशभक्ति व्यक्ति, समाज और देश के कल्याण के लिए औषध(दवा) के समान है ।