Essay On Corona In Sanskrit - कोरोना पर अनुछेद

संस्कृत में कोरोना पर निबंध - कोरोना पर अनुछेद

Sanskrit Essay On Corona - Corona Par Anuched

कोरोना - Corona

कोरोना नामकम् इदं संक्रमणं चीन देशस्य वुहान नगरात् सर्वस्मिन् विश्वे व्याप्तम् इति समाचार पत्र द्वारा अवगन्तुं शक्यते। एतत् संक्रमणं शीघ्रमेव एकस्मात् नरात् अपरं नरं प्रतिगच्छति “विश्वस्वास्थ्य संघटनं कोरोना इति आख्यं रोगं “महामारी” इति नाम्ना उद्घोषितवान्। कोरोना समक्रमणात् आत्मरक्षार्थं “ गज द्वय परिनितं दूरं, अनिवार्यं मुखावरणं धारणं” इयं उक्तिः भारत सर्वकारेण सर्वदा सर्वत्र च वयं बोधिताः भवामः। अस्य वचनस्य परिपालनम् उत्तमनागरिकैः अवश्यं कर्तव्यम्। भारतस्य प्रधानमंत्रीनां कुशल नेतृत्वे भारतीय चिकित्सकाः अस्मात् संक्रमणात् रक्षणाय रोधकौषधी (टीकाम) निर्मित्तवन्तः। कोरोना संकटत्रानणार्थं स्वच्छता, मुखावरणं (मास्क )धारनीयं, हस्तौ फेलिनेन पुनः-पुनः प्रक्षालनीयौ आवश्यकं वर्तते। एतत् संक्रमण जन्याः अन्यापि रोगाः उत्पद्यन्ते। कोरोना विषयणी इयं खलु वैश्विक महामारी रूपा समस्या अस्ति। अतः अस्माभिः सर्वेरपि जागरूकै भवितव्यम्।

हिन्दी अनुवाद :

कोरोना

कोरोना नामक वायरस चीन देश के वुहान नगर से पूरे विश्व में फैला यह समाचार पत्र द्वारा जान सकते हैं। यह संक्रमण बहुत ही जल्दी एक लोग से दूसरे लोगों में फैलता है। विश्वस्वास्थ्य सगठन कोरोना नामक इस रोग को महामारी नाम दिया। कोरोना संक्रमण से अपनी रक्षा के लिए “ दो गज दूरी मास्क है जरूरी” इस बात को भारत सरकार ने हम सभी को जानने के लिए बताया। वचन का परिपालन करना नागरिक का कर्तव्य है। भारत के प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में भारतीय चिकित्सक इस संक्रमण से रक्षा के लिए टीका का निर्माण किया। कोरोना संकट से बचने के लिए स्वच्छता, मास्क पहनना, दोनों हाथों को बार-बार धोना इत्यादि आवश्यक है। इस संक्रमण से संबंधित दूसरे रोग भी उत्पन्न हुए हैं। कोरोना विषय संबंधित यह रोग विश्व महामारी के रूप मे समस्या है। अतः हम सभी को जागरूक होना चाहिए।