Essay On Loknayak Jaiprakash In Sanskrit Essay - लोकनायकः जयप्रकाशः पर अनुछेद

लोकनायकः जयप्रकाशः पर निबंध - लोकनायक जयप्रकाश पर अनुछेद

Loknayak Jaiprakash Sanskrit Essay - Loknayak Jaiprakash Par Anuched

लोकनायकः जयप्रकाशः

लोकनायक-जयप्रकाशनारायणस्य जन्म द्वयधिकोनविंशतितमे (1902) खिष्टाब्दे अक्तूबरमासस्य एकादशतमे दिने (११) सारणमण्डलान्तर्गत सिताबदियारानाम्नि ग्रामे अभवत् । तस्मिन् दिने भारतीय पञ्चांगमतानुसारेण विजयादशमी आसीत् । जयप्रकाशः ग्रामस्य शिक्षा समाप्य पटना-कालेजियेट-विद्यालये पठित्वा पटना-महाविद्यालये विज्ञानमपठत् । तस्मिन्नेव काले बिहारे स्वतन्त्रता-संग्रामस्य प्रसिद्ध संचालकस्य महात्मा-गान्धिनः अनुयायिनः बाबू ब्रजकिशोरनारायणस्य प्रभावत्या सह तस्य विवाहः अभवत् । सर्वकारेण स्वीकृतां छात्रवृतिं प्राप्य जयप्रकाशः अमेरिकादेशम् अगच्छत् । तत्र अनेकेषु विश्वविद्यालयेषु पठित्वा परिश्रमेण कथमपि जीवनं यापयित्वा अनेकेषां महर्षिणाम् समाजशास्त्रिणाम् शोषणमुक्तसमाजरचनायाम् निरतानाम् पुरुषाणां विचारधाराणाञ्च प्रभावेन समाजवादी भूत्वा स्वदेशं प्रत्यागच्छत् । अत्र-देशेऽपि यावज्जीवनम् मानवानाम् सेवां कुर्वन् ऊनाशीत्यधिकोनविंशति वर्षे अक्तूबरमासस्याष्टमे दिवसे पटना नगर स्थिते स्ववासगृहे पञ्चत्वं प्राप्तः ।

हिन्दी अनुवाद :

लोकनायक जयप्रकाश

लोकनायक जयप्रकाश का जन्म 1902 में अक्टुबर महिने के ग्यारह तारीख को सारण मण्डल के सिताबदियारा नाम के ग्राम में हुआ। उस दिन भारतीय पञ्चाग के मतानुसार विजया दशमी था। जयप्रकाश ग्राम की शिक्षा समाप्त कर पटना कालेजियट विद्यालय में पढकर पटना- महाविद्यालय में विज्ञान पढे। उसी समय बिहार में स्वतंत्रता-संग्राम का प्रसिद्ध संचालक का महात्मा गांधी अनुयायी को बाबू ब्रजकिशोरनारायण के पुत्री प्रभावती के साथ उनका विवाह हुआ। सरकार से स्वीकृत छात्रवृत्ति प्राप्तकर जयप्रकाश अमेरिका देश को गए। वहां अनेक विश्वविद्यालय में पढकर परिश्रम से किसी प्रकार जीवन यापन करके अनेक महर्षियों, समाजशास्त्रियों के शोषणमुक्त समाज रचना के लिए उसमें संलग्न पुरुषों के विचारधारा के प्रभाव से समाजवादी होकर अपने स्वदेश लौट आए। यहां देश में भी जबतक जीवन है मानवों का सेवा किए 1979 अक्टूबर मास के 8 तारीख को पटना नगर में स्थित अपने घर में मृत्यु को प्राप्त हुए।