शिक्षकः गुरुः च पर्यायवाचकशब्दौ ।
प्राचीनकाले गुरुः आसीत्, अधुना च शिक्षकः। परं शब्दस्य अर्थे या कल्पना वर्तते, सा सर्वकालेषु एका एव । यः अस्माकं मार्गदर्शनं करोति सः अस्माकं गुरुः । इदं मार्गदर्शनं केवलं अभ्यासविषये नास्ति, परं जीवनमूल्यानां विषये कार्यविषयेऽपि भवितुं शक्नोति। गुरोः स्थानम् अतीव उच्चम् अस्ति । कस्यापि कार्यस्य शुभारम्भाय गुरोः आशीर्वादः आवश्यकः । परं गुरुः केवलम् अस्माकम् अध्यापकः नास्ति। सः अस्माकं मार्गदर्शकः, पिता, माता, मित्रं देवः च अस्ति । अतः एव अस्माकं विद्यालये शिक्षकदिनस्य भव्यः कार्यक्रमः अभवत्।
अस्मिन् कार्यक्रमे अस्माकं सभागृहं सुसज्जितम् आसीत्। प्रथमं त्रयः छात्राः मञ्चे स्थित्वा कार्यक्रमं समचालयन्। ते शिक्षानां शिक्षकदिनस्य महत्त्वं च सर्वान् अकथयन्। तस्मात् अनन्तरं ते सर्वेषां शिक्षकानां अभिनन्दनम् अकुर्वन्। कार्यक्रमे विविधाः बालकाः आगत्य शिक्षकविषयकाः स्वरचनाः अश्रावयन्। केचन छात्राः सुन्दराः कविताः अरचयन् । अन्यः एकः गणः स्वरचितं शिक्षकविषयकं गीतम् अगायत् । वयं शिक्षकैः सह मनोरञ्जनक्रीडाः अपि अक्रीडाम। अन्ते शिक्षकानाम् आशीर्वादान् प्राप्य वयं कार्यक्रमस्य शिक्षकाः अस्माकं जीवने अतीव महत्त्वपूर्णाः सन्ति। ते अस्माकं विद्यालये अभ्यासम् अनुशासनं पाठयन्ति, तस्मात् अधिकं च जीवनमूल्यानि
पाठयन्ति। अतः एव योग्यम् उक्तम् -
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवोमहेश्वरः।
गुरुः साक्षात् प्रब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥
हिन्दी अनुवाद :
शिक्षक दिवस पर निबंध
शिक्षक और गुरु दोनों पर्यायवाची शब्द हैं। प्राचीन काल में गुरु थे, और अब शिक्षक हैं। परंतु शब्द के अर्थ में काल के गमन से बदलाव नहीं आया है। जो हमार मार्गदर्शन करके हमें सही दिशा दिखाते हैं वे हमारे गुरु होते हैं । यह मार्गदर्शन केवल अध्ययन के विषय मे नहीं होता, किंतु जीवन मूल्य और कार्य के विषय भी हो सकता है। गुरु का स्थान सदैव ऊँचा होता है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करने के लिए गुरु के आशीर्वाद आवश्यक होते हैं। परंतु गुरु केवल वे नहीं हैं जो हमें शिक्षा (अभ्यास के विषय) में दें। वे हमारे मार्गदर्शक, पिता, माता, मित्र और देव का स्थान भी लेते हैं। यही कारण है कि हमारे विद्यालय में शिक्षक दिवस के लिए भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस समारोह में हमारा सभागृह सुंदर प्रकार से सजाया गया था। पहले, तीन छात्र मंच पर आए और कार्यक्रम का संचालन किया। उन्होंने सभी को शिक्षकों और शिक्षक दिवस का महत्त्व समझाया। इसके बाद उन्होंने सभी शिक्षकों को शुभकामनाएँ दीं। समारोह में अनेक छात्रों ने आकर शिक्षकों के बारे में अपनी सुंदर रचनाएँ प्रस्तुत कीं। कुछ छात्रों ने सुंदर कविताएँ लिखीं, जो उन्होंने सभी को सुनाई। एक अन्य मंडल ने शिक्षकों के बारे में एक गीत गाया जिसे उन्होंने स्वयं बनाया था। हमने अपने शिक्षकों के साथ खेल भी खेले । शिक्षकों का आशीर्वाद प्राप्त करके हमने कार्यक्रम का समापन किया। शिक्षक हमारे जीवन में अतीव महत्वपूर्ण हैं। विद्यालय में, वे हमें पढ़ाई और अनुशासन सिखाते हैं और इससे अधिक, वे हमें जीवन के मूल्य सिखाते हैं। इसलिए ही सही कहा गया है।
गुरु भगवान श्रीब्रह्मा हैं, वे भगवान श्रीविष्णु हैं और वे भगवान श्री महेश हैं।
गुरु स्वयं परमात्मा हैं, ऐसे गुरु को मैं नमस्कार अर्पित करता हूँ।