Sanskrit Shloka for kids which will give them good education and explain knowledge about life, yoga wisdom.
Here is collection of Best Sanskrit Slokas For Children With Hindi And English Meaning:
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, गुरु हि शंकर है; गुरु हि साक्षात् परब्रह्म है; उन सद्गुरु को प्रणाम ।
Guru(Teacher)is Brahma, Guru is Vishnu, Guru is Shankar, Guru is the Supreme Being; Salutations to that Sadguru.
“सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चित् दुःखभाग्भवेत्॥”सभी सुखी रहें, सभी रोगमुक्त रहें। सभी मंगलमय घटनाओं का अनुभव करें, और कोई भी दुख का भागी न बने।
May all be happy, may all be disease-free. May all experience auspicious events, and may no one suffer misery.
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने पर है, फल पर नहीं। इसलिए कर्म का फल कभी भी तुम्हारे कार्यों का उद्देश्य न बने और आलस्य से बचो।
You have the right only to do your work, not to its results. Therefore, never let the results of your work be the objective of your actions and avoid laziness.
असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मा अमृतं गमय॥असत्य से सत्य की ओर ले चलो, अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो, मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो।
Lead us from falsehood to truth, lead us from darkness to light, lead us from death to immortality.
विद्यां ददाति विनयं, विनयाद्याति पात्रताम्।
पात्रत्वात् धनमाप्नोति, धनात् धर्मं ततः सुखम्॥विद्या से विनम्रता आती है, विनम्रता से योग्यता प्राप्त होती है। योग्यता से धन प्राप्त होता है, धन से धर्म और धर्म से सुख मिलता है।
Education brings humility, humility brings ability. Ability brings wealth, wealth brings religion and religion brings happiness.
मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयोः।
बन्धाय विषयासक्तं, मुक्तं निर्विषयं स्मृतम्॥मनुष्य के बंधन और मोक्ष का कारण मन ही है। जब मन विषयों में आसक्त होता है तो बंधन में फँसता है, और जब निर्लिप्त होता है तो मुक्त हो जाता है।
The mind is the reason for man's bondage and liberation. When the mind is attached to material things, it gets trapped in bondage, and when it is detached, it becomes free.
धर्मो रक्षति रक्षितः।
धर्म की रक्षा करने पर धर्म भी हमारी रक्षा करता है।
When we protect religion, religion also protects us.
यथा चित्तं तथा वाचो, यथा वाचस्तथा क्रिया। चित्ते वाचि क्रियायां च, साधूनामेकरूपता॥
साधु पुरुषों की वाणी, मन और कर्म तीनों एक समान होते हैं।
The speech, mind and actions of saints are the same.
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्।
उदार चरित्र वालों के लिए संपूर्ण पृथ्वी ही परिवार है।
For people with generous character the entire earth is a family.
सत्यमेव जयते नानृतं।
सत्य ही हमेशा जीतता है, असत्य नहीं।
Truth always wins, not falsehood.
नास्ति बुद्धिरयुक्तस्य न चायुक्तस्य भावना।
न चाभावयतः शान्तिरशान्तस्य कुतः सुखम्॥जिसकी बुद्धि नियंत्रित नहीं है, वह ध्यान नहीं कर सकता। जो ध्यान नहीं करता, उसे शांति नहीं मिलती। अशांत व्यक्ति के लिए सुख कहाँ?
One whose intellect is not controlled cannot meditate. One who does not meditate does not get peace. Where is happiness for a disturbed person?
वृक्ष कः फलदायकः, कं छायां न विसृजति।
सन्तः सद्गुणसंपन्नाः, पिपीलिकां न हिंसति॥वह वृक्ष कौन है जो फल देता है, परंतु अपनी छाया नहीं छोड़ता? संत व्यक्ति सद्गुणों से संपन्न होते हैं, और वे चींटी तक को नहीं सताते।
Which is the tree that gives fruit but does not leave its shade? Saints are endowed with virtues and they do not harass even an ant.
क्षमा वीरस्य भूषणम्।
क्षमा वीर का आभूषण है।
Forgiveness is the ornament of the brave.
क्षमा वीरस्य भूषणम्।
क्षमा वीर का आभूषण है।
Forgiveness is the ornament of the brave.
शुश्रूषा श्रवणं चैव ग्रहणं धारणां तथा ।
ऊहापोहोऽर्थ विज्ञानं तत्त्वज्ञानं च धीगुणाः ॥शुश्रूषा, श्रवण, ग्रहण, धारण, चिंतन, उहापोह, अर्थविज्ञान, और तत्त्वज्ञान – ये बुद्धि के गुण हैं ।
Caring, listening, receiving, holding, thinking, deliberation, economics and philosophy – these are the qualities of intelligence.
परोपदेश पाण्डित्ये शिष्टाः सर्वे भवन्ति वै ।
विस्मरन्ती ह शिष्टत्वं स्वकार्ये समुपस्थिते ॥दूसरे को उपदेश देते वक्त सब शयाने बन जाते हैं; पर स्वयं कार्य करने की बारी आती है, तब पाण्डित्य भूल जाते हैं ।
Everyone becomes a fool when giving advice to others; but when it comes to doing the work themselves, they forget their scholarship.
सत्यं तपो ज्ञानमहिंसता च विद्वत्प्रणामं च सुशीलता च ।
एतानि यो धारयति स विद्वान् न केवलं यः पठते स विद्वान् ॥सत्य, तप, ज्ञान, अहिंसा, विद्वानों को प्रणाम, (और) सुशीलता – इन गुणों को जो धारण करता है, वह विद्वान और नहीं कि जो केवल अभ्यास करता है वह ।
Truth, penance, knowledge, non-violence, respect for the learned, (and) good behaviour – he who possesses these qualities is a learned person and not one who merely practises them.
निषेवते प्रशस्तानि निन्दितानि न सेवते ।
अनास्तिकः श्रद्धानः एतत् पण्डितलक्षणम् ॥सत्पुरुषों की सेवा, निंदितों का त्याग, अनास्तिक होना, (और) श्रद्धावान होना – ये पंडित के लक्षण हैं ।
Serving good men, forsaking those who are condemned, being an atheist, and being a person of faith - these are the characteristics of a Pandit.
रत्नैर्महार्हैस्तुतुषुर्न देवाः न भेजिरे भीमविषेण भीतिं । सुधां विना न प्रययुर्विरामम् न निश्चितार्थाद्विरमन्ति धीराः ॥
अति मूल्यवान रत्नों के ढेर मिलने पर देव संतुष्ट न हुए, या भयंकर विष निकलने पर वे डरे नहीं; अमृत न मिलने तक वे रुके नहीं (डँटे रहे) । उसी तरह, धीर इन्सान निश्चित किये कामों में से पीछे नहीं हटते ।
The gods were not satisfied even after getting heaps of precious gems, or they were not afraid even after getting deadly poison; they did not stop (remained adamant) until they got Amrit (nectar). In the same way, patient people do not back down from the tasks they have decided.
योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय ।
सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते ॥हे अर्जुन, कर्मयोग में स्थित होकर, आसक्ति को त्यागकर कर्म कर। सफलता और असफलता में समान भाव रखकर कर्म करना योग कहलाता है।
O Arjuna, be established in Karmayoga and do your work without attachment. Doing work with an equal attitude towards success and failure is called yoga.
मनःप्रशमनोपायो योग इत्यभिधीयते ॥
मन को शांत करने का उपाय योग कहलाता है।
The method to calm the mind is called yoga.
तत्र स्थितो योगी ब्रह्म निर्वाणमृच्छति।
योगी योग में स्थित होकर ब्रह्म निर्वाण को प्राप्त करता है।
The yogi, by being situated in yoga, attains Brahma Nirvana.
योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः
योग चित्त की वृत्तियों का निरोध है।
Yoga is the restraint of the tendencies of the mind.