Simple Easy Slokas for Kids in Sanskrit Shlokas for Childrens - Some sanskrit shlokas for kids with their hindi and english meaning which will give them some good knowledge and thoughts .
Here is collection of Kids Sanskrit Slokas :
सक्ष्मात् सर्वेषों कार्यसिद्धिभर्वति ॥
क्षमा करने से सभी कार्ये में सफलता मिलती है ।
Forgiveness brings success in all work.
सहायः समसुखदुःखः ॥
जो सुख और दुःख में बराबर साथ देने वाला होता है सच्चा सहायक होता है ।
The one who gives equal support in happiness and sorrow is a true helper.
परिश्रमस्य फलं मधुरं भवति ॥
परिश्रम का फल मीठा होता है ।
The fruit of hard work is sweet.
अनुशासनेन एव मनुष्यः महान् भवति ॥
अनुशाशन से ही मनुष्य महान होता है ।
Man becomes great only by discipline.
मृजया रक्ष्यते रूपम् ॥
स्वच्छता से रूप की रक्षा होती है ।
Cleanliness protects the form.
अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥
यह हमारा,यह दूसरे का , ऐसा खुद्र बुद्धि वाले ही सोचा करते हैं। विशाल ह्रदय वालों के लिये पूरा संसार ही अपना है -कौइ पराया नहीं है।
This is ours, this is that of others, only those with a pure intellect think this. The whole world is it is own for the big-hearted - it is not alien.
आपस्तु मित्रं जानीयाद्युद्धे शूरं धने शुचिम्। भार्या क्षिणेषु वित्तेषु व्यसनेषु च बान्धवान् ॥
विपत्ति में मित्र, युद्ध में वीर, धन से ईमानदार और निर्धनता से स्त्री तथा आपत्ति के समय बन्धु की परीक्षा करनी चाहिये।
A friend in adversity, in valor, certified by wealth, and by poverty, the student's examiner at the time.
जननी जन्मभूमुश्च स्वर्गादपि गरीयसी ॥
जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है ।
Mother and motherland are better than heaven.
शैले शैले न माणिक्यं, मौक्तिकं न गजे गजे। साधवो न हि सर्वत्र चन्दनं न वने वने ॥
हर पहाड़ में माणिक नहीं मिलते हैं, हर हाथी के मस्तक में मोती नहीं प्राप्त होता सजन हर जगह विद्यमान नहीं और चन्दन का पेड़ हर वन में पाया नहीं जाता।
Ruby is not found in every mountain, the pearl is not found in every elephant's forehead, the prostration is not present everywhere and the sandal tree is not found in every forest.
दीयमानं हि नापैति भूय एवाभिवर्तते ॥
जो दिया जाता है वह कम नहीं होता बल्कि बढता है ।
What is given does not decrease but increases.
छात्राः अनुशासिताः भवेयुः ॥
छात्रों को अनुशासित होना चाहिए ।
Students should be disciplined.
नमन्ति फलिता वृक्षाः, नमन्ति विबुधा नराः। शुष्कं काष्ठं च मूर्खश्च, न नमस्ति तृटन्ति च ॥
फले हुए वृक्ष नमते हैं, विद्वान मनुष्य नमते हैं, लेकिन सूखा काठ और मूर्ख मनुष्य कभी नहीं नमते, पर टूट जाते हैं।
Fallen trees are moist, learned humans are moist, but dry wood and foolish humans never moist, but they break.
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः । गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, गुरु हि शंकर है; गुरु हि साक्षात् परब्रह्म है; उन सद्गुरु को प्रणाम ।
Guru is Brahma, Guru is Vishnu, Guru is Shankar; The Guru is the real Parabrahma; Greetings to that Sadguru.
या देवी सर्वभूतेशु, शक्तिरूपेण संस्थिता । नमस्तसयै, नमस्तसयै, नमस्तसयै नमो नम: ॥
देवी सभी जगह व्याप्त है जिसमे सम्पूर्ण जगत की शक्ति निहित है ऐसी माँ भगवती को मेरा प्रणाम, मेरा प्रणाम, मेरा प्रणाम ।
Goddess pervades everywhere, in whom lies the power of the whole world, my salutations, my salutations, my salutations to such Mother Bhagwati.
सुखार्थिनः कुतोविद्या नास्ति विद्यार्थिनः सुखम् । सुखार्थी वा त्यजेद् विद्यां विद्यार्थी वा त्यजेत् सुखम् ॥
जिसे सुख की अभिलाषा हो (कष्ट उठाना न हो) उसे विद्या कहाँ से ? और विद्यार्थी को सुख कहाँ से ? सुख की ईच्छा रखनेवाले को विद्या की आशा छोडनी चाहिए, और विद्यार्थी को सुख की ।
The one who desires happiness (does not have to suffer), from where does he get knowledge? And where is the happiness for the student? One who desires happiness should give up the hope of education, and the student should give up hope of happiness.