Satya is the Sanskrit word for truth. It also refers to a virtue in Indian religions, referring to being truthful in one's thought, speech and action. There is nothing higher than truth. Everything is upheld by truth, and everything rests upon truth.
Here is collection of some 'satya Sanskrit Slokas':
अग्निना सिच्यमानोऽपि वृक्षो वृद्धिं न चाप्नुयात् । तथा सत्यं विना धर्मः पुष्टिं नायाति कर्हिचित् ॥
अग्नि से सींचे हुए वृक्ष की वृद्धि नहीं होती, जैसे सत्य के बिना धर्म पुष्ट नहीं होता ।
ये वदन्तीह सत्यानि प्राणत्यागेऽप्युपस्थिते । प्रमाणभूता भूतानां दुर्गाण्यतितरन्ति ते ॥
प्राणत्याग की परिस्थिति में भी जो सत्य बोलता है, वह प्राणियों में प्रमाणभूत है । वह संकट पार कर जाता है ।
सत्यहीना वृथा पूजा सत्यहीनो वृथा जपः । सत्यहीनं तपो व्यर्थमूषरे वपनं यथा ॥
उज्जड जमीन में बीज बोना जैसे व्यर्थ है, वैसे बिना सत्य की पूजा, जप और तप भी व्यर्थ है ।
भूमिः कीर्तिः यशो लक्ष्मीः पुरुषं प्रार्थयन्ति हि । सत्यं समनुवर्तन्ते सत्यमेव भजेत् ततः ॥
भूमि, कीर्ति, यश और लक्ष्मी, सत्य का अनुसरण करनेवाले पुरुष की प्रार्थना करते हैं । इस लिए सत्य को हि भजना चाहिए ।
सत्यं स्वर्गस्य सोपानं पारावरस्य नौरिव । न पावनतमं किञ्चित् सत्यादभ्यधिकं क्वचित् ॥
समंदर के जहाज की तरह, सत्य स्वर्ग का सोपान है । सत्य से ज़ादा पावनकारी और कुछ नहीं ।
सत्येन पूयते साक्षी धर्मः सत्येन वर्धते । तस्मात् सत्यं हि वक्तव्यं सर्ववर्णेषु साक्षिभिः ॥
सत्य वचन से साक्षी पावन बनता है, सत्य से धर्म बढता है । इस लिए सभी वर्णो में, साक्षी ने सत्य हि बोलना चाहिए ।
तस्याग्निर्जलमर्णवः स्थलमरिर्मित्रं सुराः किंकराः कान्तारं नगरं गिरि र्गृहमहिर्माल्यं मृगारि र्मृगः । पातालं बिलमस्त्र मुत्पलदलं व्यालः श्रृगालो विषं पीयुषं विषमं समं च वचनं सत्याञ्चितं वक्ति यः ॥
जो सत्य वचन बोलता है, उसके लिए अग्नि जल बन जाता है, समंदर जमीन, शत्रु मित्र, देव सेवक, जंगल नगर, पर्वत घर, साँप फूलों की माला, सिंह हिरन, पाताल दर, अस्त्र कमल, शेर लोमडी, झहर अमृत, और विषम सम बन जाते हैं ।