गणेश, या गणपति (उनके अन्य नामों में विनायक, विघ्नेश्वर और विघ्नराज शामिल हैं), हिंदू धर्म में सबसे अधिक पूजनीय देवताओं में से एक हैं। भक्त अपने अनुष्ठान या समारोह की शुरुआत में इस देवता की पूजा करते हैं। गणेश जी को पूरे भारत में बाधाओं को दूर करने वाले और शुरुआत के देवता के रूप में पूजा जाता है। उनके कुछ प्रसिद्ध मंत्र /श्लोक नीचे है, एक बार जरूर पढ़े। Here is some Mantra of Lord Ganesh :
मूषिकोत्तममारुह्य देवासुरमहाहवे ।
योद्धुकामं महावीर्यं वन्देऽहं गणनायकम् ॥श्रेष्ठ मूषक पर सवार होकर देवासुरमहासंग्राम में युद्ध की इच्छा करनेवाले महान् बलशाली गणनायक गणेश की मैं वन्दना करता हूँ ।
अम्बिकाहृदयानन्दं मातृभिः परिवेष्टितम् ।
भक्तिप्रियं मदोन्मत्तं वन्देऽहं गणनायकम् ॥भगवती पार्वती के हृदय को आनन्द देनेवाले, मातृकाओं से अनावृत, भक्तों के प्रिय, मद से उन्मत्त की तरह बने हुए गणनायक गणेश की मैं वन्दना करता हूँ ।
जय सिद्धिपते महामते जय बुद्धीश जडार्तसद्गते ।
जय योगिसमूहसद्गुरो जय सेवारत कल्पनातरो ॥हे सिद्धिपते ! हे महापते ! आपकी जय हो । हे बुद्धिस्वामिन् ! हे जड़मति तथा दुःखियों के सद्गति-स्वरूप ! आपकी जय हो ! हे योगियों के सद्गुरु ! आपकी जय हो । हे सेवापरायणजनों के लिये कल्पवृक्षस्वरूप ! आपकी जय हो !
जननीजनकसुखप्रदो निखलानिष्ठहरोऽखिलेष्टदः ।
गणनायक एव मामवेद्रदपाशाङ्कुमोदकान् दधत् ॥माता-पिता को सुख देनेवाले, सम्पूर्ण विघ्न दूर करनेवाले, सम्पूर्ण कामनाएँ पूर्ण करनेवाले एवं दन्त-पाश-अंकुश-मोदक धारण करनेवाले गणनायक मेरी रक्षा करें ।
गजराजमुखाय ते नमो मृगराजोत्तमवाहनाय ते ।
द्विजराजकलाभृते नमो गणराजाय सदा नमोऽस्तु ते ॥गजराज के समान मुखवाले आपको नमस्कार है, मृगराज से भी उत्तम वहनवाले आपको नमस्कार है, चन्द्रकलाधारी आपको नमस्कार है और गणों के स्वामी आपको सदा नमस्कार है ।
गणनाथ गणेश विघ्नराट् शिवसूनो जगदेकसद्गुरो ।
सुरमानुषगीतमद्यशः प्रणतं मामव संसृतेर्भयात् ॥हे गणनाथ ! हे गणेश ! हे विघ्नराज ! हे शिवपुत्र ! हे जगत् के एकमात्र सद्गुरु ! देवताओं तथा मनुष्यों के द्धारा किये गये उत्तम यशोगानवाले आप सांसारिक भय से मुझ शरणागत की रक्षा कीजिये ।