गणेश, या गणपति (उनके अन्य नामों में विनायक, विघ्नेश्वर और विघ्नराज शामिल हैं), हिंदू धर्म में सबसे अधिक पूजनीय देवताओं में से एक हैं। भक्त अपने अनुष्ठान या समारोह की शुरुआत में इस देवता की पूजा करते हैं। गणेश जी को पूरे भारत में बाधाओं को दूर करने वाले और शुरुआत के देवता के रूप में पूजा जाता है। उनके कुछ प्रसिद्ध मंत्र /श्लोक नीचे है, एक बार जरूर पढ़े। Here is some Mantra of Lord Ganesh :
वेदान्तवेद्यं जगतामधीशं देवादिवन्द्यं सुकृतैकगम्यम् ।
स्तम्बेरमास्यं नवचन्द्रचूडं विनायकं तं शरणं प्रपद्ये ॥मैं उन भगवान् विनायक की शरण ग्रहण करता हूँ, जो वेदान्त में वर्णित परब्रह्म हैं, त्रिभुवन के अधिपति हैं, देवता-सिद्धादि से पूजित हैं, एकमात्र पुण्य से ही प्राप्त होते हैं और जिन गजानन के भालपर द्धितीया की चन्द्ररेखा सुशोभित रहती है ।
नमामि देवं द्धिरदाननं तं यः सर्वविघ्नं हरते जनानाम् ।
धर्मार्थकामांस्तनुतेऽखिलानां तस्मै नमो विघ्नविनाशनाय ॥मैं उन गजाननदेव को नमस्कार करता हूँ, जो लोगों के समस्त विघ्नों का अपहरण करते हैं । जो सबके लिए धर्म, अर्थ और कामका विस्तार करते हैं, उन विघ्नविनाशन गणेश को नमस्कार है ।
द्धिरदवदन विषमरद वरद जयेशान शान्तवरसदन ।
सदनवसादन सादनमन्तरायस्य रायस्य ॥हाथी के मुख वाले, एकदन्त, वरदायी, ईशान, परमशान्ति एवं समृद्धि के आश्रय, सज्जनों के क्लेशहर्ता और विघ्नविनाशक हे गणपति ! आपकी जय हो ।
सर्वविघ्नहरं देवं सर्वविघ्नविवर्जितमम्
सर्वसिद्धिप्रदातारं वन्देऽहं गणनायकम् ॥सभी प्रकार के विघ्नों का हरण करनेवाले, सभी प्रकार के विघ्नों से रहित तथा सभी प्रकार की सिद्धियों को देनेवाले भगवान् गणनायक गणेश की मैं वन्दना करता हूँ ।
विश्वमूलाय भव्याय विश्वसृष्टिकराय ते ।
नमो नमस्ते सत्याय सत्यपूर्णाय शुण्डिने ॥जो विश्व के मूल कारण, कल्याणस्वरूप संसार की सृष्टि करनेवाले, सत्यरूप, सत्यपूर्ण तथा शुण्डधारी हैं, उन आप गणेश्वर को बारम्बार नमस्कार है ।
एकदन्ताय शुद्घाय सुमुखाय नमो नमः ।
प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने ॥जिनके एक दाँत और सुन्दर मुख है, जो शरणागत भक्तजनों के रक्षक तथा प्रणतजनों की पीड़ा का नाश करनेवाले हैं, उन शुद्धस्वरूप आप गणपति को बारम्बार नमस्कार है ।