Ganesh Mantra (गणेश मंत्र)

Ganesh Mantra (गणेश मंत्र) - Ganesh Shlokas

गणेश, या गणपति (उनके अन्य नामों में विनायक, विघ्नेश्वर और विघ्नराज शामिल हैं), हिंदू धर्म में सबसे अधिक पूजनीय देवताओं में से एक हैं। भक्त अपने अनुष्ठान या समारोह की शुरुआत में इस देवता की पूजा करते हैं। गणेश जी को पूरे भारत में बाधाओं को दूर करने वाले और शुरुआत के देवता के रूप में पूजा जाता है। उनके कुछ प्रसिद्ध मंत्र /श्लोक नीचे है, एक बार जरूर पढ़े। Here is some Mantra of Lord Ganesh :

Ganesh Slokas In Sanskrit | गणेश श्लोक मंत्र

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किं स्तौमि त्वां गणाधीश योगशान्तिधरं परम् ।
वेदादयो ययुः शान्तिमतो देवं नमाम्यहम्॥

भावार्थ :

गणाधीश ! आप योगशान्तिधारी उत्कृष्ट देवता हैं, मैं आपको क्या स्तुति कर सकता हूँ ! आपकी स्तुति करने में तो वेद आदि भी शान्ति धारण कर लेते हैं अतः मैं आप गणेश देवता को नमस्कार करता हूँ ।

ब्रह्मभ्यो ब्रह्मदात्रे च गजानन नमोऽस्तु ते ।
आदिपूज्याय ज्येष्ठाय ज्येष्ठराजाय ते नमः ॥

भावार्थ :

आप ब्राह्मणों को ब्रह्म देते हैं, हे गजानन ! आपको नमस्कार है । आप प्रथम पूजनीय, ज्येष्ठ और ज्येष्ठराज हैं, आपको नमस्कार है ।

अनामयाय सर्वाय सर्वपूज्याय ते नमः ।
सगुणाय नमस्तुभ्यं ब्रह्मणे निर्गुणाय च ॥

भावार्थ :

आप रोगरहित, सर्वस्वरूप और सबके पूजनीय हैं आपको नमस्कार है । आप ही सगुन और निर्गुण ब्रह्म हैं, आपको नमस्कार है ।

गजवक्त्रं सुरश्रेष्ठं कर्णचामरभूषितम् ।
पाशाङ्कुशधरं देवं वन्देऽहं गणनायकम् ॥

भावार्थ :

हाथी के मुख वाले देवताओं में श्रेष्ठ, कर्णरूपी चामरों से विभूषित तथा पाश एवं अंकुश को धारण करनेवाले भगवान् गणनायक गणेश की मैं वन्दना करता हूँ ।

मौञ्जीकृष्णाजिनधरं नागयज्ञोपवीतिनम् ।
बालेन्दुशकलं मौलौ वन्देऽहं गणनायकम् ॥

भावार्थ :

मुंजकी मेखला एवं कृष्णमृगचर्म को धारण करनेवाले तथा नाग का यज्ञोपवीत पहननेवाले और सिरपर बालचन्द्रकला को धारण करनेवाले गणनायक गणेश की मैं वन्दना करता हूँ ।

चित्ररत्नविचित्राङ्गं चित्रमालाविभूषितम् ।
कायरूपधरं देवं वन्देऽहं गणनायकम् ॥

भावार्थ :

विचित्ररत्नों से चित्रित अंगोंवाले, विचित्र मालाओं से विभूषित तथा शरीररूप धारण करनेवाले उन भगवान् गणनायक गणेश की मैं वन्दना करता हूँ ।